Thursday, May 23, 2024

iqbalसाहब शायरी , iqbal ki shayri ,dr iqbal ki shayri

अक्ल गो आस्तां से दूर नहीं उसकी तकदीर में हुजूर नहीं दिले बिना भी कर खुदा से तलब आँख का नूर दिल का नूर नहीं इल्म में भी शुरूर है लेकिन ये वो जन्नत है जिसन में हर नही एक जूनू है की बशाऊर भी है एक जुनू है की बशाऊर नही नासबूरीहै जिन्दगी दिल की आह! वो दिल की नासबूर नहीं बे बेहुज़ूरीहतेरी मौत का राज जिन्दा हो, तू तो बेहुजूर नहीं हर गुजर ने सदफ को तोर दिया तू ही आमादा ए ज़हूर नही

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